उस औरत ने चाय लेकर आई और अम्बिका चाय पी ही रही थी कि उस औरत ने पूछा बताओ क्या काम है तो अम्बिका ने मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए कहा कि आपका चेहरा मेरी गांव की सहेली निशा से हूबहू मिलता है जो आज से एक साल पहले गायब हो गई थी कहीं आप निशा तो नहीं तो उस औरत ने जवाब दिया देखिए आपको कोई गलतफहमी हुई है। मेरा नाम निशा नहीं मेरा नाम अंजली है। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि मेरा चेहरा आपके सहेली निशा से मिलता है तो आज से आप मुझे अपनी सहेली समझे मतलब कि अम्बिका ने उस औरत यानी अंजलि को इस तरह से अपनी बातों से बकाया के अंजलि उसकी सहेली बन ही गई लेकिन अम्बिका का मकसद अंजलि को सहेली बनाने का नहीं था। उसका मकसद तो कुछ और ही था धीरे-धीरे उन दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि कभी अम्बिका अंजलि के घर खाना खा लेती तो कभी अंजलि अम्बिका के घर एक दिन अम्बिका अंजलि के घर खाना खा रही थी तो अम्बिका ने अंजलि से कहां कि अंजलि में तुमसे एक बात पूछूं अंजलि ने कहा, हां हां पूछो क्या बात है।
अब अम्बिका अपने मकसद की पहली सीढ़ी चढ़ने की कोशिश कर रही थी तो अम्बिका ने कहा कि मैं तुम्हें अक्सर एक लड़के के साथ देखा करती थी और तो और हम दोनों की दोस्ती के लगभग महीने भर हो गयें लेकिन तुमने कभी उसका जिक्र ही नहीं किया तो अंजलि ने कहा अरे वो मेरा बेटा है। उसका नाम अजय है तो अम्बिका ने कहा कि लेकिन? वो कभी दिखाई नहीं दिया तो अंजलि ने कहा कि वो दो महीने के लिए अपनी मौसी के घर गया था। लेकिन कुछ कारणवश वह एक-दो दिन में ही आ जाएगा। अम्बिका ने कहा कि जब वो आ जाए तो मुझसे मिलना जरूर अंजलि ने कहा, हां, हां, क्यों नहीं जरूर मिलाऊंगी। अम्बिका ने कहा, अच्छा ठीक है। चलो मैं चलती हूं। इस वक्त मैं तुमसे परसों मिलने आऊंगी। जब तुम्हारा बेटा आ जाएगा तो अंजलि ने कहा, ठीक है लेकिन परसो जरूर आ जाना। अम्बिका ने कहा, हां, बिल्कुल इतना कहते ही अम्बिका अंजलि के घर से चली गई और रास्ते में वो जाते वक्त सोच रही थी कि चलो अब मेरा मकसद जल्द ही पूरा होने वाला हैं उधर रांजलि अपने बेटे को फोन करके पूछा, की अजय तुम अभी कब तक आओगे तो अजय ने कहा, मैं परसो तक आ जाऊंगा तो अजय की मां ने कहा ठीक है लेकिन परसो तक आ जरूर जाना। अजय ने कहा हां मैं परसों तक जरुर आ जाऊंगा माँ उधर अजय आने की तैयारी कर रहा था तो इधर अम्बिका अजय को फंसाने की तैयारी वह दिन आ गया। यानी परसों का दिन इधर आज अपने घर आ गया था।
उधर अम्बिका अंजलि के घर जाने के लिए निकल चुकि थी। अंजलि अपने बेटे से कहीं ही रही थी कि आज मैं तुम्हें किसी से मिलवाने वाली हूं। तब तक अम्बिका आ गयी अम्बिका को देख अंजलि ने कहा कि तुम्हारी उम्र बहुत लंबी है। अभी हम तुम्हारी ही बात कर रहे थे। लेकिन अंजलि को क्या पता था कि अंजलि अपनी बर्बादी को लंबी उम्र की दुआ दे रही है। अंजलि ने अम्बिका और अपने बेटे का परिचय करवाया। तीनों साथ में बैठकर खाना खा रहे थे। बातें कर रहे थे और अम्बिका अजय को पटाने की कोशिश इसलिए नहीं कि अजय पर अम्बिका फिदा हो गई थी बल्कि इसलिए कि अम्बिका को अजय से अपना बहुत बड़ा काम पूरा करवाना था लेकिन अजय अम्बिका पर ध्यान नहीं दे रहा था क्योंकि अजय की मां से उम्र में कुछ ही कम रही होगी। लेकिन दीखने में बहुत ही हॉट थी। इसलिए अजय भी अम्बिका के जाल में फस गया और बगल में बैठी उसकी मां यानी अंजलि को इस बात की भनक भी नहीं लगी। दोनों का प्यार इतना आगे बढ़ गया कि दोनों का साथ मे बाईक पर घूमना फिरना होटल में खाना पीना और कभी कबार साथ में सो भी जाना। फिर एक दिन वह मौका अम्बिका को मिल ही गया। जिस मौके की तलाश में अम्बिका थी। अम्बिका अंजली के घर आई अम्बिका अजय को सामने देखकर अंजलि से कहा, बड़े ही प्यार से चाय पिला दो यार तो अंजलि ने कहा अच्छा ठीक है बैठो मैं चाय बनाकर लाती हूँ और अंजलि चाय बनाने चली गयी।
इधर अम्बिका अजय के पास जाकर अजय से कहा मै तुम्हारे रूम में जा रही हूँ और जब और जब तुम्हारी माँ पूछे कि अम्बिका कहा गयी तो तुम कह देना कि अम्बिका अपने घर चली गई। इतना कह के तुम भी रूम में आ जाना और अजय ने वैसा ही किया जैसा अम्बिका बोल कर गई थी। अंजलि चाय लेकर आई और अम्बिका को न देखकर अजय से पूछा। अम्बिका कहां गई तो अजय ने कहा, अरे माँ वो तो अपने घर चली गई। बोल रही थी कि उन्हें कुछ काम याद आ गया है और इतना कह कर अजय भी अपने रूम में चला गया, लेकिन अंजलि को थोड़ा शक हुआ तो अंजलि अजय के रुम के पास जाकर डोर बेल बजाई तो अजय ने अंदर ही आवाज लगाई। क्या बात है माँ तो अंजलि ने कहा, अरे बेटा मेरा चश्मा तुम्हारे रूम में ही है। दरवाजा खोलो तो अजय ने कहा, ठीक है माँ, मैं लेकर आ रहा हूं। अजय ने दरवाजा खोला और चश्मा दे दिया तो अंजलि ने कहा, अरे बेटा मेरा मोबाइल भी तुम्हारे रूम में ही है। यह कहते-कहते अंजलि भी रूम के अंदर चली गई रूम के अंदर देखा अम्बिका नहीं थी इधर उधर देख कर अंजलि भी देख रूम के बाहर आ गयी अजय ने फटाक से दरवाजा बंद किया और चैन की सांस ली। अजय ने एक धीमी आवाज लगाई बाहर आ जाओ, मां चली गई तब जाके अम्बिका अजय के अलमारी से बाहर आ गयी लेकिन जिस काम के लिए अम्बिका अजय के रूम में गई थी, अब वह पूरा हो चुका था, इसलिए थोड़ी ही देर अम्बिका भी अजय के घर से चली गई। अजय को लगा कि अम्बिका मुझसे गुस्सा हो कर चली गई है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था।
अजय अम्बिका को कई बार फोन भी किया, लेकिन अम्बिका अजय का फोन नहीं उठाया। इधर अंजलि ने भी कई बार कॉल किया लेकिन अंजली का भी कॉल नहीं उठाया। अजय ने तो अम्बिका से कई बार मिलने की कोशिश भी की लेकिन मिल नहीं पाया। फिर 1 दिन अम्बिका ने खुद अजय को मोबाइल पर फोन किया। अजय ने फटाक से फोन उठाया और बोला कि अरे अम्बिका तुम कहां थी। अनगिनत बार तुम्हारे मोबाइल पर फोन भी किया, लेकिन तुमने फोन भी नहीं उठाया। क्या कोई प्रॉब्लम है क्या हम भी खाने? अम्बिका ने कहा ऐसी कोई बात नहीं है और जो मैं कह रही हूं, उससे बहुत ही ध्यान से सुनना। लेकिन अपनी मां से मत बताना। अजय ने कहा, ठीक है बताओ क्या बात है तो अम्बिका कहा, तुम्हारे अलमारी में मेरा बैग छूट गया है। उस बैग में चार से पांच पैकेट होंगे। उन उन में एक ग्रीन कलर का पैकेट होगा। उस पैकेट को लेकर तुम उस एड्रेस पर आ जाओ जो मैंने तुम्हारे मोबाइल पे भेजा है। अजय उस पैकेट को लेकर उसी एड्रेस पर जाता है जहां पर अम्बिका अजय को बुलाई थी।
उस पैकेट और अजय को लेकर अम्बिका उस जगह पर जाती है। जहां पर ड्रग्स का कारोबार होता था। वहां पर जाने के बाद अम्बिका उस पैकेट को नीलेश नाम के ड्रग डीलर को देती है। अभी तक अजय को यह नहीं पता था कि इस पैकेट में क्या है या फिर यह सब कौन हैं। नीलेश उस पैकेट को खोलने के बाद सूंघता है और अम्बिका से कहता है कि माल बहुत अच्छा है। तुम्हारे पास जो चार पैकेट है उन पैकिटो को उस एड्रेस पर भिजवा दो जो मैं जो मै तुम्हे दे रहा हूँ तो अम्बिका ने कहा, ठीक है इधर अजय की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। उनकी बातें सुनकर और पैकेज को देखकर तब तक नीलेश कहता है कि उन पैकिटो क्लाइंट के एड्रेस पर पहुंचा देगा। ना सही से ये तुम्हारा अजय तो अम्बिका कहती। हां हां बिल्कुल आप इसकी चिंता मत करो। इतना कहके अम्बिका अजय को लेकर अपने घर चली आती है। अजय अम्बिका से कहता है कि प्लीज तुम मुझे इन सब कामों में मत डालो मेरा कैरियर खराब हो जाएगा। मेरी मां मेरे बारे में क्या सोचेगी? प्लीज मुझे छोड़ दो तो अम्बिका कहती है कि छोड़ तो मैं तुम्हें दूंगी, लेकिन एक शर्त है मेरी तो अजय कहता है कि मैं तुम्हारी सारी शर्ते मानने के लिए तैयार हूं तो अम्बिका कहती है। ठीक है तुम ड्रग डीलर यानी निलेश को गोली मार दो। अजय ने कहा, लेकिन तुम उसे क्यों मरवाना चाहती हो, वो तो तुम्हारा बॉस है ना तो अम्बिका ने कहा कि क्योंकि मैं खुद बॉस बनना चाहती हूं। बस तुम उसे मार दो फिर मैं तुम्हे माफ कर दूंगी। अजय ने मजबूरी में हामी भर ली। अजय गन लेकर चला गया। उसे मारने के लिए नीलेश को गोली मारते वक्त अजय का हाथ कांप रहा था। तब तक पीछे खड़ा आदमी नीलेश को गोली मार दी जिसे अम्बिका ने ही भेजा था और यह नजारा देखकर अजय डर सा गया था। अजय भागते भागते अपनी मां के पास पहुंचा और अपनी मां को सारी कहानी बताई। अजय की माँ यानी अंजलि ने पुलिस को फोन किया। बस पुलिस अम्बिका के ठिकाने पर जाकर अम्बिका और उसकी टीम को रंगे हाथ पकड़ लिया। अम्बिका अजय के साथ ऐसा इसलिए कर रही थी क्योंकि अजय अम्बिका को पसंद आ गया था। उससे अपने कारोबार में डालकर उसी से शादी करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अम्बिका और उसकी टीम को सजा मिली और इधर दोनों मां-बेटे अपनी चैन की जिंदगी बिताने लगी।
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